मैं भी एक अच्छा था नियत का भी सच्चा था पर मालिक की गद्दारी ने मुझको बेइमान बना डाला।। कुछ अलग किया था जीवन को मैं कुछ अलग बात थी अच्छाई की पर मोल नहीं सच्चाई की पर हंसी मिली दुराचारी की।। मैंने अपने जीवन को उसका उसका जहां बनवाया था पर मालिक की गद्दारी ने मुझको बेईमान बनाया था।। जीवन की सच्ची घटना है राहों पर चलना सीखा था पर मतलब रूपी दुनिया में घुट घुट कर जीना सीख लिया।। कुछ साथ मिला गद्दारों का उसको भी मैंने छोड़ दिया पर मालिक की खातिर मैंने अपनों से नाता तोड़ लिया।। क्या कहूं मैं कुछ कैसे कहना मुझको आता नहीं उसने मुझको क्या सीख दिया मैं दुश्मन को भी जीत लिया।। हारना मैंने सीखा ही नहीं पर जिताना सीख लिया बेईमानी के कांटो पर मैं राह बनाना सीख लिया।। मुझ में क्या अच्छाई है समझ नहीं आता हमको किस बुराई पर लड्डू में जब खुद बुराई बना डाला।। प्रभुता की प्रभुताई नहीं मुझमें इल्जाम लगा डाला इस सिसकती दुनिया में मुझको हैवान बना डाला।। ©hero yadav ji अपनों की गद्दारी #smoke