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हनुमान - सूर्य संवाद (प्रसंग - संजीवनी बूटी) हे

हनुमान - सूर्य संवाद
  (प्रसंग - संजीवनी बूटी)

हे सूरज! इतना याद रहे, संकट एक सूरज वंश पे है,
लंका के नीच राहु द्वारा, आघात दिनेश अंश पर है।

इसीलिए छिपे रहना भगवन, जब तक न जड़ी पंहुचा दूं मैं,
बस तभी प्रकट होना दिनकर, जब संकट निशा मिटा दूं मैं।

मेरे आने से पहले यदि किरणों का चमत्कार होगा,
तो सूर्य वंश में सूर्यदेव निश्चित ही अंधकार होगा।

आशा है स्वल्प प्रार्थना ये, सच्चे जी से स्वीकरोगे,
आतुर की आर्थ अवस्था को, होकर करुणार्ध निहारोगे।


अन्यथा छमा करना दिनकर, अंजनी तनय से पाला है,
बचपन से जान रहे हो तुम, हनुमत कितना मतवाला है।

मुख में तुमको धर रखने का, फिर वही क्रूर साधन होगा,
बंदी मोचन तब होगा, जब लक्ष्मण का दुःख मोचन होगा।




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©Arpit Mishra #हनुमानजयंती 
#हनुमान
हनुमान - सूर्य संवाद
  (प्रसंग - संजीवनी बूटी)

हे सूरज! इतना याद रहे, संकट एक सूरज वंश पे है,
लंका के नीच राहु द्वारा, आघात दिनेश अंश पर है।

इसीलिए छिपे रहना भगवन, जब तक न जड़ी पंहुचा दूं मैं,
बस तभी प्रकट होना दिनकर, जब संकट निशा मिटा दूं मैं।

मेरे आने से पहले यदि किरणों का चमत्कार होगा,
तो सूर्य वंश में सूर्यदेव निश्चित ही अंधकार होगा।

आशा है स्वल्प प्रार्थना ये, सच्चे जी से स्वीकरोगे,
आतुर की आर्थ अवस्था को, होकर करुणार्ध निहारोगे।


अन्यथा छमा करना दिनकर, अंजनी तनय से पाला है,
बचपन से जान रहे हो तुम, हनुमत कितना मतवाला है।

मुख में तुमको धर रखने का, फिर वही क्रूर साधन होगा,
बंदी मोचन तब होगा, जब लक्ष्मण का दुःख मोचन होगा।




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©Arpit Mishra #हनुमानजयंती 
#हनुमान