White दिल के दो हिस्से, दो राहों पे खड़े, एक दौड़ रहा है, दूसरा थक कर पड़े। एक चाहता है शोहरत का हर रंग, दूसरा तलाशे बस शांति का एक संग। ख्वाहिशें बढ़ें तो सपनों का बोझ भारी हो, सुकून घटे तो दिल का हर पल बेमानी हो। एक बिछाए महलों का ख्वाब, अंबर को छूने, दूसरा खो जाए पेड़ों की छांव में सुकून पाने। जब ख्वाहिशें बढ़ें, रास्ता कठिन हो जाए, सुकून का समंदर कब लहरों में खो जाए। अगर धड़कनों का रुख सही दिशा में हो, तो दिल के सारे सवाल खुद-ब-खुद हल हो। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर दिल के दो हिस्से, दो राहों पे खड़े, एक दौड़ रहा है, दूसरा थक कर पड़े। एक चाहता है शोहरत का हर रंग, दूसरा तलाशे बस शांति का एक संग। ख्वाहिशें बढ़ें तो सपनों का बोझ भारी हो, सुकून घटे तो दिल का हर पल बेमानी हो।