मैने उसे बनाया खुद अपना भविष्य गढ़ने के लिए , पर वो हाथ की रेखाओं में उलझकर रह गया... मैने बनाया उसे हर जीवन पर परोपकार के लिए , पर वो स्वार्थी बन कर ही रह गया.... मैने बनाया उसे असीमित क्षमताओं वाले शरीर के साथ, पर वो मुलायम सी जमी पर किस्मत अाज़माता रह गया... मैने उसे दिया ज्ञान और चिन्तन के लिए मन, पर उसने भविष्य की चिंता में ही उसे खपा दिया... मैने उसके लिए बनाई ये प्रकृति और नियम, पर वो उसी के सामने खड़ा हो दिया... मैने उसके जीवन के लिए उपहार में दी वेदास, कुरान, बाईबल, पर उसने समय मानव के कर्मो को अपनाने में ही गंवा दिया... आज इस कलयुग में क्या हुआ इस मानव को आज उस पर विचार राज करते है और वो उनका दासी, बन कर रह गया...(2) kyo