Nojoto: Largest Storytelling Platform

भगवान और भक्त के विषय में मुझे एक संशय हमेशा से रह

भगवान और भक्त के विषय में मुझे एक संशय हमेशा से रहा है की इस श्रृष्टि में पहले भगवान आये या भक्त . ये सवाल हमेशा से मुझे उद्देलित करता रहा है जब कभी किसी भगवान् के बारे में सुनता हूँ तो हमेशा एक भक्त के जिक्र के साथ शुरू होती  है उनकी महिमा की कहानी. आज भी जितने देवालय के बारे में सुनता हूँ तो किसी भक्त के बारे में पहले बताया जाता है.फिर एक सवाल कौंधता है की भगवान् कौन होता है, क्या सही में कोई शक्ति है जो सब कुछ कर सकती है जो बाकी इस नश्वर संसार में कोई नहीं कर सकता .क्या कोई सही में नश्वर नहीं है ?और मेरा मन हर बार इसी निष्कर्ष पर पहुँचता है की नहीं कोई भी इस संसार में नश्वर नहीं है बस एक नाम ही नश्वर होता है वो भी उसके आने वाली पीढ़ियों और सत्कर्मो पर आश्रित होता है.

 "नहर का पूल -कुछ पल गुजरे अपनों के साए में" ....


कथा कृति "किसलय कृष्णवंशी"निश्छल" "
भगवान और भक्त के विषय में मुझे एक संशय हमेशा से रहा है की इस श्रृष्टि में पहले भगवान आये या भक्त . ये सवाल हमेशा से मुझे उद्देलित करता रहा है जब कभी किसी भगवान् के बारे में सुनता हूँ तो हमेशा एक भक्त के जिक्र के साथ शुरू होती  है उनकी महिमा की कहानी. आज भी जितने देवालय के बारे में सुनता हूँ तो किसी भक्त के बारे में पहले बताया जाता है.फिर एक सवाल कौंधता है की भगवान् कौन होता है, क्या सही में कोई शक्ति है जो सब कुछ कर सकती है जो बाकी इस नश्वर संसार में कोई नहीं कर सकता .क्या कोई सही में नश्वर नहीं है ?और मेरा मन हर बार इसी निष्कर्ष पर पहुँचता है की नहीं कोई भी इस संसार में नश्वर नहीं है बस एक नाम ही नश्वर होता है वो भी उसके आने वाली पीढ़ियों और सत्कर्मो पर आश्रित होता है.

 "नहर का पूल -कुछ पल गुजरे अपनों के साए में" ....


कथा कृति "किसलय कृष्णवंशी"निश्छल" "