Nojoto: Largest Storytelling Platform

हाय रे! उम्र, तु क्यों ढ़लता है? यूं तो ठिक था मैं,

हाय रे! उम्र, तु क्यों ढ़लता है?
यूं तो ठिक था मैं, फिर भला तू क्यों बदलता है?
हाय रे! उम्र, तु क्यों ढ़लता है?
अभी बीत ही रहा था ये बचपन
जहाँ चंचल होता था हरेक पल मन,
न जाने, कब आ गई ये जवानी?
अलहड़पन, वो मौज-मस्ती
हरेक मौसम हो गई रुमानी,
बातों पर बातें, बेबाक हँसी-ठिठोली
होती थी हर रात दीवाली और दिन होली
न जाने कब ये बीत गए?
'बुढ़ापा' उम्र का ये कैसा पड़ाव,
क्या यही है, आखरी ठहराव?
सहम जाता हुँ, दिल पसीज सा जाता है,
ये बुढ़ापा क्यों आता है?
जब छोड़ अपने, आगे बढ़ जाते है
तब मन ये मेरा भी जलता
हाय रे! उम्र, तु क्यों ढ़लता है?
न तु बदलता, न मैं निर्बल मालूम पड़ता
आज मैं भी समय के साथ चलता,
यूं न अपने ही घर के किसी कोने मे पड़े मैं सड़ता

काश! ये उम्र न ढ़लता...........

 #Umar_Ek_Padao
#Nojoto
हाय रे! उम्र, तु क्यों ढ़लता है?
यूं तो ठिक था मैं, फिर भला तू क्यों बदलता है?
हाय रे! उम्र, तु क्यों ढ़लता है?
अभी बीत ही रहा था ये बचपन
जहाँ चंचल होता था हरेक पल मन,
न जाने, कब आ गई ये जवानी?
अलहड़पन, वो मौज-मस्ती
हरेक मौसम हो गई रुमानी,
बातों पर बातें, बेबाक हँसी-ठिठोली
होती थी हर रात दीवाली और दिन होली
न जाने कब ये बीत गए?
'बुढ़ापा' उम्र का ये कैसा पड़ाव,
क्या यही है, आखरी ठहराव?
सहम जाता हुँ, दिल पसीज सा जाता है,
ये बुढ़ापा क्यों आता है?
जब छोड़ अपने, आगे बढ़ जाते है
तब मन ये मेरा भी जलता
हाय रे! उम्र, तु क्यों ढ़लता है?
न तु बदलता, न मैं निर्बल मालूम पड़ता
आज मैं भी समय के साथ चलता,
यूं न अपने ही घर के किसी कोने मे पड़े मैं सड़ता

काश! ये उम्र न ढ़लता...........

 #Umar_Ek_Padao
#Nojoto
ajeetkumar3858

Ajeet Kumar

Growing Creator