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सत्य ने आँखे तरेरी,स्वप्न धूसरित हो गये,तिवारी t आ

सत्य ने आँखे तरेरी,स्वप्न धूसरित हो गये,तिवारी t
आस में थे दर्द कितने,दर्द मुखरित हो गये।
नींद ने जाते हुऐ, हँस करके इतना ही कहा,
अधिकार तेरा था कहाँ,जो स्वप्न में तुम खो गये।
नींद शापित हो गयी हैं,करवटो में काट लेना,
हो सके तो दर्द अपने,किस्त में तुम बाँट लेना।
भुगतान तो करना पड़ेगा,गलतिया भी है तुम्हारी,
थे जो अपने हाथ पकड़े,भीड़ में सब खो गये।

                                           मनीष तिवारी

©manish tiwari #Papastst
सत्य ने आँखे तरेरी,स्वप्न धूसरित हो गये,तिवारी t
आस में थे दर्द कितने,दर्द मुखरित हो गये।
नींद ने जाते हुऐ, हँस करके इतना ही कहा,
अधिकार तेरा था कहाँ,जो स्वप्न में तुम खो गये।
नींद शापित हो गयी हैं,करवटो में काट लेना,
हो सके तो दर्द अपने,किस्त में तुम बाँट लेना।
भुगतान तो करना पड़ेगा,गलतिया भी है तुम्हारी,
थे जो अपने हाथ पकड़े,भीड़ में सब खो गये।

                                           मनीष तिवारी

©manish tiwari #Papastst