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a-person-standing-on-a-beach-at-sunset

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          *हरि नाम नहीं भजते हैं*

इक मृगनयनी के चक्कर में पागल बनकर फिरते हैं 
महाकुंभ में आए श्रद्धालु हरि नाम नहीं भजते हैं

इक लड़की मोनालिसा जिसने सबका चैन चुराया 
माला बेचन वाली ने सब के ऊपर जादू चलाया 
कुंभ के सारे श्रद्धालु अब उसकी माला जपते हैं 
महाकुंभ में आए श्रद्धालु हरि नाम नहीं भजते हैं

इस सुन्दरी का महाकुंभ में हो रहा प्रचार- प्रसार 
मोनालिसा की ही खबरें छाप रहे सारे अखबार 
मोहित रुप के सम्मुख सारे धर्म- कर्म न लिखते हैं 
महाकुंभ में आए श्रद्धालु हरि नाम नहीं भजते हैं

जानें कैसा रोग लगा है? इन भक्त जनों के मन को
छोड़कर त्रिवेणी पावन तट को पूज रहे बस तन को 
भजन कीर्तन छोड़ रुप के पीछे सारे चलते हैं 
महाकुंभ में आए श्रद्धालु हरि नाम नहीं भजते हैं

तन के पीछे पागल फिरते होते चरित्रवान नहीं 
जो नारी करे अनादर होता उसका सम्मान नहीं 
धर्म- कर्म के काम छोड़कर रुप ताक़ते रहते हैं 
महाकुंभ में आए श्रद्धालु हरि नाम नहीं भजते हैं

सालों की प्रतीक्षा के बाद यह शुभ अवसर आया है 
एक सुन्दरी के चक्कर में अपना समय गँवाया है 
 हरि भक्ति को छोड़ सभी बस वीडियोग्राफी करते हैं 
महाकुंभ में आए श्रद्धालु हरि नाम नहीं भजते हैं

कुछ समय की यह तन सुन्दरता रुप काम न आएगा 
अन्त समय में बस संग दान, धर्म, कर्म ही जाएगा 
भक्ति भजन को छोड़ रुप के क्यों चक्कर में पड़ते हैं 
महाकुंभ में आए श्रद्धालु हरि नाम नहीं भजते हैं

       स्वरचित रचना-राम जी तिवारी"राम"
                                        उन्नाव (उत्तर प्रदेश)

©Ramji Tiwari #हरिनामनहींभजतेहैं
#कविता
#महाकुंभ२०२५
#भक्ति 
 Hinduism
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          *हरि नाम नहीं भजते हैं*

इक मृगनयनी के चक्कर में पागल बनकर फिरते हैं 
महाकुंभ में आए श्रद्धालु हरि नाम नहीं भजते हैं

इक लड़की मोनालिसा जिसने सबका चैन चुराया 
माला बेचन वाली ने सब के ऊपर जादू चलाया 
कुंभ के सारे श्रद्धालु अब उसकी माला जपते हैं 
महाकुंभ में आए श्रद्धालु हरि नाम नहीं भजते हैं

इस सुन्दरी का महाकुंभ में हो रहा प्रचार- प्रसार 
मोनालिसा की ही खबरें छाप रहे सारे अखबार 
मोहित रुप के सम्मुख सारे धर्म- कर्म न लिखते हैं 
महाकुंभ में आए श्रद्धालु हरि नाम नहीं भजते हैं

जानें कैसा रोग लगा है? इन भक्त जनों के मन को
छोड़कर त्रिवेणी पावन तट को पूज रहे बस तन को 
भजन कीर्तन छोड़ रुप के पीछे सारे चलते हैं 
महाकुंभ में आए श्रद्धालु हरि नाम नहीं भजते हैं

तन के पीछे पागल फिरते होते चरित्रवान नहीं 
जो नारी करे अनादर होता उसका सम्मान नहीं 
धर्म- कर्म के काम छोड़कर रुप ताक़ते रहते हैं 
महाकुंभ में आए श्रद्धालु हरि नाम नहीं भजते हैं

सालों की प्रतीक्षा के बाद यह शुभ अवसर आया है 
एक सुन्दरी के चक्कर में अपना समय गँवाया है 
 हरि भक्ति को छोड़ सभी बस वीडियोग्राफी करते हैं 
महाकुंभ में आए श्रद्धालु हरि नाम नहीं भजते हैं

कुछ समय की यह तन सुन्दरता रुप काम न आएगा 
अन्त समय में बस संग दान, धर्म, कर्म ही जाएगा 
भक्ति भजन को छोड़ रुप के क्यों चक्कर में पड़ते हैं 
महाकुंभ में आए श्रद्धालु हरि नाम नहीं भजते हैं

       स्वरचित रचना-राम जी तिवारी"राम"
                                        उन्नाव (उत्तर प्रदेश)

©Ramji Tiwari #हरिनामनहींभजतेहैं
#कविता
#महाकुंभ२०२५
#भक्ति 
 Hinduism
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Ramji Tiwari

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