Nojoto: Largest Storytelling Platform

था जहाँ कहना वहां कह न पाये उम्र भर, कागज़ों पर यूँ

था जहाँ कहना वहां कह न पाये उम्र भर,
कागज़ों पर यूँ शेर लिखना बेज़ुबानी ही तो है।
अब भी इल्जाम-ए-मोहब्बत है हमारे सिर पर,
अब तो बनती भी नहीं यार हमारी उसकी।
वो एक ख़त जो उसने कभी लिखा ही नहीं,
मैं रोज बैठ कर उसका जवाब लिखता हूँ।
रंज़िश ही सही दिल को दुखाने के लिए आ,
आ फिर से मुझे छोड़ जाने के लिए आ।
इक झलक देख लें तुझको तो चले जाएंगे,
कौन आया है यहाँ उम्र बिताने के लिए।

- via bkb.ai/shayari

©अ..से..(अखिलेश).$S....'''''''''!
  Kaun Aaya Yahan Jeene Ke liye.....🤔

Kaun Aaya Yahan Jeene Ke liye.....🤔 #शायरी

454 Views