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पतझड़ की तरह एक एक कर हर किसी का साथ छूटते जा रहा

पतझड़ की तरह
एक एक कर हर किसी का साथ
छूटते जा रहा है
कब तक मैं मौसम से लड़ता रहूं।

©मुसाफिर
  #Sukha