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मैं अगर हवा होती, इधर-उधर घूमती, बद-मिजाज़ सुगंध क

मैं अगर हवा होती, इधर-उधर घूमती,
बद-मिजाज़ सुगंध का रुख बदल देती।

आँधियाँ नफ़रत की पहले ही कम न थी,
पैग़ाम मोहब्बत का हर तरफ फैला देती।

सरहदें यों हवाओं को कहाँ रोक पाईं हैं,
उन सरहदों को भी बस खत्म ही कर देती।

हिन्दु मुसलमान इन्सान थे पहले कभी,
इन्सानियत जगा सियासत खत्म कर देती।

दंगे भड़कें क्यों, बस दाना-पानी चाहिए, 
रोज़गार को हवा दे राजनीति खत्म कर देती।

कौन आखिर शान्ति नहीं चाहता होगा यहाँ,
खुशहाली की लहर से बस सराबोर कर देती।

ज़िन्दगी निभाने की वजह तो सबको ही चाहिये,
मौत सस्ती न हो, दुनिया सबको ज़ख्म क्यों देती? #आँधियाँ 
#पैग़ाम 
#मोहब्बत 
#सियासत 
#अगरहवा 
#yqdidi 
#yqhindi 
#bestyqhindiquotes
मैं अगर हवा होती, इधर-उधर घूमती,
बद-मिजाज़ सुगंध का रुख बदल देती।

आँधियाँ नफ़रत की पहले ही कम न थी,
पैग़ाम मोहब्बत का हर तरफ फैला देती।

सरहदें यों हवाओं को कहाँ रोक पाईं हैं,
उन सरहदों को भी बस खत्म ही कर देती।

हिन्दु मुसलमान इन्सान थे पहले कभी,
इन्सानियत जगा सियासत खत्म कर देती।

दंगे भड़कें क्यों, बस दाना-पानी चाहिए, 
रोज़गार को हवा दे राजनीति खत्म कर देती।

कौन आखिर शान्ति नहीं चाहता होगा यहाँ,
खुशहाली की लहर से बस सराबोर कर देती।

ज़िन्दगी निभाने की वजह तो सबको ही चाहिये,
मौत सस्ती न हो, दुनिया सबको ज़ख्म क्यों देती? #आँधियाँ 
#पैग़ाम 
#मोहब्बत 
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#अगरहवा 
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juhigrover8717

Juhi Grover

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