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" यूं रुठना तेरा वाजिब नहीं लगता , यूं मुकर जाना त

" यूं रुठना तेरा वाजिब नहीं लगता ,
यूं मुकर जाना तेरा साजिश का हिस्सा नहीं लगता ,
रह ले कर ले तु भी अपनी मनमानी ,
ये इश्क मुहब्बत तेरा अभी सच्चा नहीं लगता ,
ये इश्क लुत्फ मुहब्बत को कोई खेल समझा ,
तुम मुझसे खेल के निकल जाये मैं ओ खिलौना नहीं लगता ,
रख ले कर तु अपनी तो खुद से खुद की अब मैं तेरे खेल का हिस्सा नहीं लगता . " 

                         --- रबिन्द्र राम

©Rabindra Kumar Ram " यूं रुठना तेरा वाजिब नहीं लगता ,
यूं मुकर जाना तेरा साजिश का हिस्सा नहीं लगता ,
रह ले कर ले तु भी अपनी मनमानी ,
ये इश्क मुहब्बत तेरा अभी सच्चा नहीं लगता ,
ये इश्क लुत्फ मुहब्बत को कोई खेल समझा ,
तुम मुझसे खेल के निकल जाये मैं ओ खिलौना नहीं लगता ,
रख ले कर तु अपनी तो खुद से खुद की अब मैं तेरे खेल का हिस्सा नहीं लगता . "
" यूं रुठना तेरा वाजिब नहीं लगता ,
यूं मुकर जाना तेरा साजिश का हिस्सा नहीं लगता ,
रह ले कर ले तु भी अपनी मनमानी ,
ये इश्क मुहब्बत तेरा अभी सच्चा नहीं लगता ,
ये इश्क लुत्फ मुहब्बत को कोई खेल समझा ,
तुम मुझसे खेल के निकल जाये मैं ओ खिलौना नहीं लगता ,
रख ले कर तु अपनी तो खुद से खुद की अब मैं तेरे खेल का हिस्सा नहीं लगता . " 

                         --- रबिन्द्र राम

©Rabindra Kumar Ram " यूं रुठना तेरा वाजिब नहीं लगता ,
यूं मुकर जाना तेरा साजिश का हिस्सा नहीं लगता ,
रह ले कर ले तु भी अपनी मनमानी ,
ये इश्क मुहब्बत तेरा अभी सच्चा नहीं लगता ,
ये इश्क लुत्फ मुहब्बत को कोई खेल समझा ,
तुम मुझसे खेल के निकल जाये मैं ओ खिलौना नहीं लगता ,
रख ले कर तु अपनी तो खुद से खुद की अब मैं तेरे खेल का हिस्सा नहीं लगता . "