वादों की ज़मी पुख्ता और मैं दलदल, मुझ तक न कोई पहुंचा सब धंसता चला गया। एक सफेदे* का पेड़ उग आया मेरे आंगन, हरियाली के नामपर मेरा खून पीता चला गया। *सफेदा- uclipist tree इस पेड़ को सींचने की ज़रूरत नहीं होती। ये दलदल सुखा देता है।