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मैं सिकारा लेकर निकल पडूँ के इन मखमली सी सिलवटों

मैं  सिकारा लेकर निकल पडूँ
के इन मखमली सी सिलवटों पर
कुछ एहसास मेरे भी होंगे
तेरी आँखों मे बंद इन शरारतों
की आवाज़ों में कुछ अल्फ़ाज़ मेरे भी होंगे
(More in caption...) Khwab
रात के अंधेरे में 
अपने जिस्म की कराह को कुरेदते-कुरेदते
सुराही सी गर्दन को बिना सहारे बिस्तर पर सहेजते-2
अधखुली आँखों से कुछ ख़्वाब की तरफ़ देखते हुए
तेरे बदन पर चाँद की छनती हुई रौशनी
कुछ इस तरह सिमट गई
के मानों झील की गहराई से टकरा कर लौटती हुई
मैं  सिकारा लेकर निकल पडूँ
के इन मखमली सी सिलवटों पर
कुछ एहसास मेरे भी होंगे
तेरी आँखों मे बंद इन शरारतों
की आवाज़ों में कुछ अल्फ़ाज़ मेरे भी होंगे
(More in caption...) Khwab
रात के अंधेरे में 
अपने जिस्म की कराह को कुरेदते-कुरेदते
सुराही सी गर्दन को बिना सहारे बिस्तर पर सहेजते-2
अधखुली आँखों से कुछ ख़्वाब की तरफ़ देखते हुए
तेरे बदन पर चाँद की छनती हुई रौशनी
कुछ इस तरह सिमट गई
के मानों झील की गहराई से टकरा कर लौटती हुई

Khwab रात के अंधेरे में अपने जिस्म की कराह को कुरेदते-कुरेदते सुराही सी गर्दन को बिना सहारे बिस्तर पर सहेजते-2 अधखुली आँखों से कुछ ख़्वाब की तरफ़ देखते हुए तेरे बदन पर चाँद की छनती हुई रौशनी कुछ इस तरह सिमट गई के मानों झील की गहराई से टकरा कर लौटती हुई #Poetry #Love #poem #kavishala #nojotopoetry #erotica