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सुनो....वो बाध्य नही.... कि तुम्हारे लिए कुछ करे..

सुनो....वो बाध्य नही....
कि तुम्हारे लिए कुछ करे.......

         कि सुनो...... स्वतंत्रता उसके    
         विकल्पों में भी है.......
तथापि चयन में उसके मातृत्व है.... स्नेह है.....

           कि सुनो....यहां समर्पण है...बाध्यता नही......
तो यदि 
वह तुम्हारे लिए 
सहर्ष बाध्य हो 
कुछ कर रही है......"कुछ भी"
                तो केवल मान धरो उसका
                              "केवल  मान"
क्यूंकि शायद ही तुम उसके लिए कुछ कर सको "उसके जैसा".......
क्यूंकि "तुम्हारे कुछ करने" और "उसके कुछ करने में" अंतर है.....
              बहुत बड़ा अंतर
                                  @पुष्पवृतियां








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©Pushpvritiya
  सुनो....वो बाध्य नही....
कि तुम्हारे लिए कुछ करे.......

         कि सुनो...... स्वतंत्रता उसके    
         विकल्पों में भी है.......
तथापि चयन में उसके मातृत्व है.... स्नेह है.....

           कि सुनो....यहां समर्पण है...बाध्यता नही......
pushpad8829

Pushpvritiya

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सुनो....वो बाध्य नही.... कि तुम्हारे लिए कुछ करे....... कि सुनो...... स्वतंत्रता उसके विकल्पों में भी है....... तथापि चयन में उसके मातृत्व है.... स्नेह है..... कि सुनो....यहां समर्पण है...बाध्यता नही...... #कविता

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