जबरदस्ती अंधेरे में रखा गया मुझे चिरागों से बड़ा लगाव था कुछ भी तो नहीं मिला मुझे अंधेरे में ना मेज और ना पंखा| क्या करता है मैं जिंदा रहा खुली आंखों से बंद सपनों में चारदीवारी से ज्यादा अपने थे और मरता रहा मैं अपनों में | जबरदस्ती अंधेरे में रखा गया मुझे चिरागों से बड़ा लगाव था कुछ भी तो नहीं मिला मुझे अंधेरे में ना मेज और ना पंखा| क्या करता है मैं जिंदा रहा खुली आंखों से बंद सपनों में