अपड़ा मायादार से दूर, दूर परदेशों मा अपड़ा मायादार की खुद भौत सतोंदी। द्वी झणों मा दिरगम्ब हूणा का बाद बी मिलन की छटपटाहट रांद, योक-दूसरा से दूर मन मा कै नस्या का ख्याल ओंदा। सच्चा मायादार का मन मा वैकि सुवा की मुखड़ी बसी रांद, बिना सुवा की मुखड़ी देखी वै चैन नी आंद। चोली (चातक) का बारा मा प्रसिद्ध च कि चोली सिर्फ बरखा का पाणी का सारा जिंदा रांद, चोली मरी जालू पर बरखा का अलावा कखि और पाणी नी प्यूलू। सुवा तु मेरी बरखा च.... रूड़्यूं की बरखा, मैं तेरु चातक च, तिसायूं चातक। रूड़ी मा बरखा ना का बराबर हूंदी, रूड़ी मतलब वियोग, रूड़ी मतलब खुद, रूड़ी मतलब आंसू।
पंकज बिंदास
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