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पूछते हो मुझसे कि उनसे बात होती है क्या, पहले इक

पूछते हो मुझसे कि उनसे बात होती है क्या, 
पहले इक बात बताओ, ये बात, होती है क्या। 

वो जब मिलते हैं तो करते हैं दूर से सलाम,
इतने फ़ासले से भी मुलाक़ात होती है क्या।

मैं तो हफ़्तों-हफ़्तों तक ठीक से सो नहीं पाता, 
तुम्हारी ज़िन्दगी में हर रोज़ रात होती है क्या। 

ये जो लोग मुहब्बत के पेड़ काटते रहते हैं, 
इनके घर पे भी अम्न की बरसात होती है क्या। 

कुएँ के सारे मेंढक खिलखिलाकर हँसने लगे, 
अल्तमश पूछ बैठा था कि कायनात होती है क्या। #ghazal #gazal #gajal
पूछते हो मुझसे कि उनसे बात होती है क्या, 
पहले इक बात बताओ, ये बात, होती है क्या। 

वो जब मिलते हैं तो करते हैं दूर से सलाम,
इतने फ़ासले से भी मुलाक़ात होती है क्या।

मैं तो हफ़्तों-हफ़्तों तक ठीक से सो नहीं पाता, 
तुम्हारी ज़िन्दगी में हर रोज़ रात होती है क्या। 

ये जो लोग मुहब्बत के पेड़ काटते रहते हैं, 
इनके घर पे भी अम्न की बरसात होती है क्या। 

कुएँ के सारे मेंढक खिलखिलाकर हँसने लगे, 
अल्तमश पूछ बैठा था कि कायनात होती है क्या। #ghazal #gazal #gajal