एक भूमि पर उपजी.. दो फसल..एक धान,,,एक गेहूँ.. एक स्त्री.. एक पुरूष.. पुरूष,,,,जहाँ बोया.. वहीं उपजा.. वहीं पोषित हो.. पककर लहलहाने लगा.. स्त्री,,,,रोपी गयी मायके में.. क्षण भर को स्नेह लिप्त हो.. बढ़ने लगी जो.. उखाड़ी गयी.. ममता की भूमि से अपनी.. पुनः बोयी गयी ससुराल में.. #पूर्ण_रचना_अनुशीर्षक_मे #कितु_स्त्री...? एक भूमि पर उपजी.. दो फसल..एक धान,,,एक गेहूँ.. एक स्त्री.. एक पुरूष..