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रोते रोते मुस्कराने का हुनर, ढाती तुम यूँ ही, हसीं

रोते रोते मुस्कराने का हुनर,
ढाती तुम यूँ ही, हसीं कहर।
भूल जाता हूँ तब मैं ख़ुद को
आईने में भी न आता नज़र।।

©Raghavendra Saral
  अंतरंग

अंतरंग #शायरी

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