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शब्दों का सौदागर बनकर क्या पाया, बनना है तो भावों

शब्दों का सौदागर बनकर क्या पाया,
बनना है तो भावों का भवसागर बन।
शब्दजाल में ही तो उलझी ये दुनिया,
प्रेमभाव का उमड़ता तू सागर बन।।

महादेवी की रचना शब्दों की माला नही,
अनगिन भाव भरे हर लय और छंदों में।
उर्दू का वजन बढ़ाये क्यूँ, है ये तो सरल,
ढूंढ निकाले इश्क मुहब्बत हम बंदों में।

शब्दों की चतुराई को वाहवाही समझे बैठे,
शब्द बहुत मिलते है, ढूंढों बस तुम गूगल में।
तेरी लेखनी हो ऐसी जो भावों से सजी हो,
दर्द बहुत मिलते हैं, ढूंढो बस तुम भूतल में।

दर्द उजागर करता है, मरहम भी बतलाये ये,
औरों का दर्द जिया नही, कविदम्भ ये कैसा।
बिन जिये ही औरों के दर्द जो लिख जाए यहाँ,
सार्थक है कवि वही, वरना कविकर्म ये कैसा।

निजमन को खँगालो जरा, बसते भाव वहीं हैं,
देना बड़ा आसां है, जो उपदेश चुराए हमने हैं।
उसने लिखा, सबने लिखा, भाव भरे उसके थे,
अपनी बातें लिखो तो, जो क्लेश छुपाये हमने हैं।

रजनीश "स्वच्छंद" #NojotoQuote सही कवि।।।सार्थक कवि।।।
शब्दों का सौदागर बनकर क्या पाया,
बनना है तो भावों का भवसागर बन।
शब्दजाल में ही तो उलझी ये दुनिया,
प्रेमभाव का उमड़ता तू सागर बन।।

महादेवी की रचना शब्दों की माला नही,
अनगिन भाव भरे हर लय और छंदों में।
उर्दू का वजन बढ़ाये क्यूँ, है ये तो सरल,
ढूंढ निकाले इश्क मुहब्बत हम बंदों में।

शब्दों की चतुराई को वाहवाही समझे बैठे,
शब्द बहुत मिलते है, ढूंढों बस तुम गूगल में।
तेरी लेखनी हो ऐसी जो भावों से सजी हो,
दर्द बहुत मिलते हैं, ढूंढो बस तुम भूतल में।

दर्द उजागर करता है, मरहम भी बतलाये ये,
औरों का दर्द जिया नही, कविदम्भ ये कैसा।
बिन जिये ही औरों के दर्द जो लिख जाए यहाँ,
सार्थक है कवि वही, वरना कविकर्म ये कैसा।

निजमन को खँगालो जरा, बसते भाव वहीं हैं,
देना बड़ा आसां है, जो उपदेश चुराए हमने हैं।
उसने लिखा, सबने लिखा, भाव भरे उसके थे,
अपनी बातें लिखो तो, जो क्लेश छुपाये हमने हैं।

रजनीश "स्वच्छंद" #NojotoQuote सही कवि।।।सार्थक कवि।।।