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उस दिन सारा शहर उदास था ! कोई हलचल ,भागम - भाग को

उस दिन सारा शहर उदास था !
कोई हलचल ,भागम - भाग 
कोई ऊहापोह नहीं थी 
लोग अपने - आप से रूठे हुए - से चल रहे थे 
चेहरा - चेहरा बुझा - मलिन था 
अनमने सब लग रहे थे 
इक घोर मुर्दा शांति में 
लिपटा पड़ा था शहर सारा !
 
न तो सिले थे लब ही किसी के 
न ही लगा था आज़ादी पर 
कोई अंकुश किसी तरह का 
फिर भी लेकिन उस दिन सारा आलम 
एकदम चुप - चुप सा था !
 
बात पता ये चली कि उस दिन --
अख़बारों में सिर्फ़ छपी थीं
 गीत- कला -कविता की बातें 
घोटालों का ,बलात्कार का 
अपहरणों का ज़िक्र नहीं था 
लूटपाट की ,हत्याओं की 
आगज़नी की ख़बर नहीं थी
 नहीं छपे थे अभिनेत्रियों के 
बदन उघाड़े फ़ोटो उस दिन 
बस इतनी -सी बात हुई थी 
जिस दिन  सारा शहर उदास था !!
            ------श्री सदोष हिसारी सदोष हिसारी जी की रचना---
उस दिन सारा शहर उदास था !
कोई हलचल ,भागम - भाग 
कोई ऊहापोह नहीं थी 
लोग अपने - आप से रूठे हुए - से चल रहे थे 
चेहरा - चेहरा बुझा - मलिन था 
अनमने सब लग रहे थे 
इक घोर मुर्दा शांति में 
लिपटा पड़ा था शहर सारा !
 
न तो सिले थे लब ही किसी के 
न ही लगा था आज़ादी पर 
कोई अंकुश किसी तरह का 
फिर भी लेकिन उस दिन सारा आलम 
एकदम चुप - चुप सा था !
 
बात पता ये चली कि उस दिन --
अख़बारों में सिर्फ़ छपी थीं
 गीत- कला -कविता की बातें 
घोटालों का ,बलात्कार का 
अपहरणों का ज़िक्र नहीं था 
लूटपाट की ,हत्याओं की 
आगज़नी की ख़बर नहीं थी
 नहीं छपे थे अभिनेत्रियों के 
बदन उघाड़े फ़ोटो उस दिन 
बस इतनी -सी बात हुई थी 
जिस दिन  सारा शहर उदास था !!
            ------श्री सदोष हिसारी सदोष हिसारी जी की रचना---

सदोष हिसारी जी की रचना---