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रचना दिनांक,,9,,12,,2024 वार। सोमवार समय सुबह ‌

रचना दिनांक,,9,,12,,2024
वार। सोमवार
समय    सुबह ‌‌  पांच बजे                 ्भावचित्र ्
                 ्् निज विचार ््
                  ्शीर्षक ्
      ्् ये दिल और दिमाग दोनों से सवाल जवाब बन ग
ई मेरी स्वरचित तस्वीर शैलेंद्र आनंद ््

दिल और दिमाग, और शरीर,औरआत्मा, से,
 जब आत्मप्रेम आत्मसात करने लग जाय,,
 मानो माया मोह का मायावी जाल में,
 इन्सान फंस चुके हैं।।1।।
दिल का हाल जुबां पर आये,
कमबख्त इश्क में पागलों जैसी,
 खुबसूरती बयां करती हरकतें,
 लाजवाब लगती है,,
लेकिन इन्सान सुखद अहसास में,
 गम का सेहरा बांध लेता है।।2।।
नामालुम कब किसे कौन कब,
 वक्त की मुफलिसी में जी रहे हैं,,
 हालात पे दुखती रग पर हाथ रख दे।।3।।
मानो दिल का आयना नज़रिया,
 सहज महज़ प्रेम की केमिस्ट्री,
 शाश्वत सत्यता में ,
परिवर्तित हो जाती है,,
मानो दिल से दिल का आशिक और दिवाना ,
किसी मयखाने में या फिर,
किसी खण्डहर में ,
अपने वज़ूद को तलाशता रहा।।4।।
ये हाल रिश्ता दिल का है ,
किसे गुनाहगार कहूं,,
हालात ऐसे हैं मेरे मुकद्दर के,
मैं मिटकर भी इन्सानी हक से, 
इस दिल को क्या कभी,
अपना दिल नहीं कह सका।।5।।
ये तकरीरें तकदीर नहीं बदल नहीं सकती,
ये वाकयात मरते दम तक कफ़न से जमींदोज नहीं होता,।।6।।
वो हंसी,मज़ाक,आनंद, के लम्हे दोस्त यार की यादों का,
 किसी शायर ग़ज़ल का का मक्ता जेहन में बन सकता है ,।।7।।
अपने आप शब्दों की शिरकत करने वाले का हिस्सा बन जाय,,
यह आनंद का तकल्लुफ और तखल्लुस बन गया।।।8।।    
              ,आमीन,
                          कवि शैलेंद्र आनंद   
9  दिसम्बर   2024

©Shailendra Anand  मोटिवेशनल कोट्स इन हिंदी मोटिवेशनल कोट्स इन हिंदी फॉर स्टूडेंट्स
कवि शैलेंद्र आनंद
रचना दिनांक,,9,,12,,2024
वार। सोमवार
समय    सुबह ‌‌  पांच बजे                 ्भावचित्र ्
                 ्् निज विचार ््
                  ्शीर्षक ्
      ्् ये दिल और दिमाग दोनों से सवाल जवाब बन ग
ई मेरी स्वरचित तस्वीर शैलेंद्र आनंद ््

दिल और दिमाग, और शरीर,औरआत्मा, से,
 जब आत्मप्रेम आत्मसात करने लग जाय,,
 मानो माया मोह का मायावी जाल में,
 इन्सान फंस चुके हैं।।1।।
दिल का हाल जुबां पर आये,
कमबख्त इश्क में पागलों जैसी,
 खुबसूरती बयां करती हरकतें,
 लाजवाब लगती है,,
लेकिन इन्सान सुखद अहसास में,
 गम का सेहरा बांध लेता है।।2।।
नामालुम कब किसे कौन कब,
 वक्त की मुफलिसी में जी रहे हैं,,
 हालात पे दुखती रग पर हाथ रख दे।।3।।
मानो दिल का आयना नज़रिया,
 सहज महज़ प्रेम की केमिस्ट्री,
 शाश्वत सत्यता में ,
परिवर्तित हो जाती है,,
मानो दिल से दिल का आशिक और दिवाना ,
किसी मयखाने में या फिर,
किसी खण्डहर में ,
अपने वज़ूद को तलाशता रहा।।4।।
ये हाल रिश्ता दिल का है ,
किसे गुनाहगार कहूं,,
हालात ऐसे हैं मेरे मुकद्दर के,
मैं मिटकर भी इन्सानी हक से, 
इस दिल को क्या कभी,
अपना दिल नहीं कह सका।।5।।
ये तकरीरें तकदीर नहीं बदल नहीं सकती,
ये वाकयात मरते दम तक कफ़न से जमींदोज नहीं होता,।।6।।
वो हंसी,मज़ाक,आनंद, के लम्हे दोस्त यार की यादों का,
 किसी शायर ग़ज़ल का का मक्ता जेहन में बन सकता है ,।।7।।
अपने आप शब्दों की शिरकत करने वाले का हिस्सा बन जाय,,
यह आनंद का तकल्लुफ और तखल्लुस बन गया।।।8।।    
              ,आमीन,
                          कवि शैलेंद्र आनंद   
9  दिसम्बर   2024

©Shailendra Anand  मोटिवेशनल कोट्स इन हिंदी मोटिवेशनल कोट्स इन हिंदी फॉर स्टूडेंट्स
कवि शैलेंद्र आनंद