))))) मुर्दा भी रोता है ((((( """"""""""""""""""""""""""" मुर्दा भी रोता है,अपनो को रोता देखकर। अपनो के द्वारा,घर से बाहर करता देखकर। रोना आता है बहूत , बिछड़ता परिवार देखकर। आंसू रुकता नहीं आंखों का,स्वार्थी संसार देखकर। विधाता भी अफसोस जाहिर कर रहा , मुर्दे को रोता देखकर। कुछ पल बाद,फफक कर रो पड़ा,आंगन से बाहर ले जाता देखकर। कभी उठाता कभी रखता , कोई कहता बेचारा अच्छा इंसान था, कुछ को गरियाता ,कुछ को आंसू बहाता देखकर। मुर्दा भी रोता है , अपनो को रोता देखकर। कभी खुशी कभी गम दिखता चेहरे पर , खुद को चार कंधों पर देखकर। सोचता काश ज़िंदा में भी गले लगाता,मुझ में जन्मदाता परमात्मा देखकर। जोर - जोर से रोने लगा अब मुर्दा , श्मशान के अंदर ले जाता देखकर। आंखों का आंसू सूख गया,खुद पर लकड़ी सजाता देखकर। जब आग से जलने लगा बदन,पहले आंसू,अफसोस फिर, मुस्कुराने लगा परमात्मा को देखकर। नयी दुनिया , नया घर , नया परिवार, नहीं आग का असर नहीं पानी से भय, अब चिंताएं खत्म हुई,स्वार्थी इंसानों को देखकर। काश मैं सदा निराकार में रहता, सोचने लगा,अपने नालायक बेटे-बेटियों को देखकर। मुर्दा भी रोता है,अपनों को रोता देखकर।। ///////////////////\\\\\\\\\\\\\\\\\\\ प्रमोद मालाकार की कलम से ////////////\\\\\\\\\\\\ ©pramod malakar #मुर्दा भी रोता है Neha dwivedi Keshav kumar Lucky Boy Arun Sharma Gagan Mishra Anurag Tiwari