तो गुस्ताखी होगी यूँही ख़त को पढ़ समझेगा वही जो दिल समझना चाहेगा थोड़ा कमज़ोर है दिल मेरा कुछ का कुछ लिखने लगेगा बिन वज़ह उलझा देगा उसे जैसा है बस वैसा ही ठीक है न कोई शिकायत, न शिकवा है ख़त की दरकार लगती नहीं अब बिन कहे ही समझ जातें है दूर से ही दिल का हाल जान लेते हैं -yuhee ♥️ Challenge-995 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।