वाकिफ हैं इस बात से की नसीब न होंगी कोई खुशियां हमें, पर सांसों के रुक जाने तक जीना तो होगा, मंजिल मिले या न मिले सफर खत्म हो जाने तक चलना तो होगा, चुभेंगे कांटे पैरों में कई बार हमारे निकाल कर काटों को खुद से हमे आगे बढ़ना तो होगा, बिखरेंगे कई बार सूखे पत्तों की तरह फिर जलकर ही सही राख बनना तो होगा फिर जलकर ही सही राख बनना तो होगा । ©Vaani #chaand #bikhri_zindgi #bikharna #safar