उनका ज़िंदगी में आने का क्या मोजज़ा हुआ नामुकम्मल ख्वाइशों का हर पल इंतहा हुआ किसकी मज़ाल जो उनके होते हुए छेड़े मुझे मेरी गलियों में उनका क्या खूब मरतबा हुआ शान-ओ-शौकत नही मुझे मोहब्बत चाहिए कल रात उनकी बाहों में आखिर क्या हुआ मेरे जहां से रुखसत होने की खबर क्या आई फूल मौसम यहाँ तक दुश्मन भी मेहरबां हुआ फुरक़त का बादल छाया तो सब इतराने लगे क़ुरबत के लम्हों में काँटा भी गुलिस्ताँ हुआ बड़ी दूर से जो आए तुम सिर्फ मुझसे मिलने मेरी अंधेरी ज़िंदगी में जश्न-ए-चऱागाँ हुआ ©Sukriti Pandey #SukritiPandey #steps