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"प्रकृति और मानव" प्रकृति अपना अद्भुत नजारा दिखाती

"प्रकृति और मानव"
प्रकृति अपना अद्भुत नजारा दिखाती है,
जख्म अपने दिल के छिपाती है।
सदा अपना फर्ज निभाती है,
कुदरत अपने नाना रूप दिखाती है,
कभी तारों का टिमटिमाना,
कभी लालिमा का छा जाना।
कभी सूरज का छिपना,
कभी बादलों में छिप जाना।
सबको खुश रहना दिखाती है,
कभी सर्दी तो कभी गर्मी आती है।
तारे एकजुट रहना सिखाते है,
मानव को प्यार का पाठ पढ़ाते हैं।
ये नीले बादल समान भाव से प्रेम लुटाते हैं ,
कभी धूप तो कभी शीतलता प्रदान करते हैं।
प्रकृति अपना अद्भुत दिखाती है।...........2
"एस. पी. चौहान "

©Shishpal Chauhan
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