कुछ अंदर है जो टूट रहा है धीरे-धीरे सब छूट रहा है कहीं तो है जहाँ से कुछ रिस रहा है क्या कोई सूरज कहीं डूब रहा है कैसे बताऊँ और किसे बताऊं मेरे भीतर का समंदर सूख रहा है ऐसा लगता है जैसे मतलबियों के शहर में बेमतलब का आ गया हूँ रौशनी ने जीना मुहाल कर रखा है बस इसलिये खुद को अंधेरे में सिमटा रहा हूँ लगता है बहुत आगे आ गया सफर में पीछे का रास्ता ही भूल रहा हूँ पता नहीं क्या पाने निकल आया क्या कुछ बड़ा मैं गंवा रहा हूँ वक़्त सौदेबाजी पे आ गया है हर बाजी वो ही जीत रहा मैं अपना सबकुछ हार ही रहा हूँ--अभिषेक राजहंस मैं हार रहा हूँ #Nojoto #NojotoHindi #AbhishekRajhans