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तेरी-मेरी बात एक वक़्त था जब हम - तुम एक - दूसरे क

तेरी-मेरी बात एक वक़्त था जब हम - तुम 
एक - दूसरे की  बातों   में  
कुछ इस तरह  मश़रूफ होते थे
कब दिन ढल जाता, शाम हो जाती
और कब रात के आग़ोश में 
यूं ही सिमट जाते ,अंतहीन लम्हों में।
कल की फिक्र  कहां थी.. #तेरी_मेरी_बात
तेरी-मेरी बात एक वक़्त था जब हम - तुम 
एक - दूसरे की  बातों   में  
कुछ इस तरह  मश़रूफ होते थे
कब दिन ढल जाता, शाम हो जाती
और कब रात के आग़ोश में 
यूं ही सिमट जाते ,अंतहीन लम्हों में।
कल की फिक्र  कहां थी.. #तेरी_मेरी_बात