बेहद फ़र्क़ है ज़िद ओ ग़ुरूर में, नाराज़गी और नफ़रत में, वो अदा कैसे हुई जिस से न झूमे दिल मदहोशी ए मसर्रत में... (मसर्रत - ख़ुशी) ©Shubhro K #Difference