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बेहद फ़र्क़ है ज़िद ओ ग़ुरूर में, नाराज़गी और नफ़र

बेहद फ़र्क़ है ज़िद ओ ग़ुरूर में, नाराज़गी और नफ़रत में, 
वो अदा कैसे हुई जिस से न झूमे दिल मदहोशी ए मसर्रत में...

(मसर्रत - ख़ुशी)

©Shubhro K #Difference
बेहद फ़र्क़ है ज़िद ओ ग़ुरूर में, नाराज़गी और नफ़रत में, 
वो अदा कैसे हुई जिस से न झूमे दिल मदहोशी ए मसर्रत में...

(मसर्रत - ख़ुशी)

©Shubhro K #Difference
shubhrokdedas6046

Shubhro K

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