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भौजी बोलीं हैं बाबू गर्मी में काहेें लकराते हैं इस

भौजी बोलीं हैं बाबू गर्मी में काहेें लकराते हैं
इस गली उस गली अपनी स्वास फुलाते हैं 
थोडा धैर्य रखो समय पर सब कुछ मिली
अपनी मर्जी से इधर उधर झूठे दौड़ लगाते हैं
भौजी बोलीं हैं.......
कोई ऐसी वैसी मैं मिली तो कचूमर निकल जाइ
देखे नहीं है कितने लोग कचहरी में जाते हैं
ई शादी बियाह कवनों खेलावाड़ थोड़े है जो
अपना दिमाग फालतू कामन में उलझाते हैं
भौजी बोलीं हैं ......
ई भौजी का आदेश है तुम लोगन सुधर जाओ
पढ़ो, मोबाइल पे ऑनलाइन काहें पगलाते हैं
भगवान जोड़ी उपरै से बना के भेजत हैं "सूर्य"
उदाहरण देख लो पड़ोसी कितना शोर मचाते हैं
भौजी बोलीं हैं......

©R K Mishra " सूर्य "
  #भौजी#बोलीं#हैं  Rama Goswami Ashutosh Mishra Sethi Ji अभिलाष द्विवेदी (अकेला ) एक अनपढ़ शायर Ƈђɇҭnᴀ Ðuвєɏ