रेत उड़कर जब आंखो में चुभने लगे क्यारियों में कांटे ही कांटे पनपने लगे देर न करना उस आग को ठंडा करने में जिनकी विचारधारा से सभ्यता मिटने लगे।। #Manish Kumar Savita #chubhan