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बहाने भी उसके क्या लाज़वाब होते थे। कभी लाइब्रेरी

बहाने भी उसके क्या  लाज़वाब होते थे।
कभी लाइब्रेरी का बहाना,
तो कभी मैथ्स की क्लास का बहाना।
उसे पता था अच्छी तरह हम उसे कामयाब देखना चाहते थे।
और इसीबात का उसने फ़ायदा उठा लिया।
कामयाबी की मंज़िल ढूंढते -ढूंढ़ते वो धीरे -धीरे मेरी नज़रों से ओझल हो गया।

©Sneh Lata Pandey 'sneh'
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