वक्त की केसी हेरा फेरी है रक्खा है तुने जिस क़ैद में मुझको उसमें कुछ तों मर्जी मेरी है बहते हुए आंसू मेरे तुझको दिखते नहीं ये भी खुश किस्मती मेरी है ना कर आज़ाद मुझको अपनी मोहब्बत की क़ैद से बस यही इच्छा मेरी है ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, सुरेन्द्र लोहोट 03/01/2022 ©surender kumar