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नाकामियों के अपने दास्तान बहुत हैं, हमपे उनके अहस

नाकामियों के अपने दास्तान बहुत हैं,
हमपे उनके अहसान बहुत हैं ।
रह जाती है फासले से चंद कदम दूर,
दिल में अधूरे अरमान बहुत हैं ।

यादों की कश्ती अब कहीं शाहिल नहीं पाती
स्याह नजरों से वो छींटे धुल नहीं पाती 
किस किस को मनाए, कब तल्क सफाई देते फिरें
हमपे अपनों के इल्जाम बहुत हैं ।

अधूरे पन्नो से बिखरे अंजाम बहुत हैं ।
तस्वीर वो जो मुकम्मल हो नहीं पाती
तदबीर भी अब सम्हल नही पाती 
रायशुमारी दुनिया में, हम नादान बहुत हैं ।
नाकामियों के अपने दास्तान बहुत हैं,
हमपे उनके अहसान बहुत हैं ।
रह जाती है फासले से चंद कदम दूर,
दिल में अधूरे अरमान बहुत हैं ।

यादों की कश्ती अब कहीं शाहिल नहीं पाती
स्याह नजरों से वो छींटे धुल नहीं पाती 
किस किस को मनाए, कब तल्क सफाई देते फिरें
हमपे अपनों के इल्जाम बहुत हैं ।

अधूरे पन्नो से बिखरे अंजाम बहुत हैं ।
तस्वीर वो जो मुकम्मल हो नहीं पाती
तदबीर भी अब सम्हल नही पाती 
रायशुमारी दुनिया में, हम नादान बहुत हैं ।