"ऐ मेरी कलम! कब तक लिखती रहेगी तू उन्हें,
जज़्बातों की कद्र नहीं है ज़रा भी जिन्हें!
काग़ज़ का फैलाकर आँचल तू तो स्याही का श्रृंगार करे,
पर अधूरी कहानी को पूरा करने की पड़ी है किन्हें!
अब तो शब्द भी सिसककर मुझसे यूँ कहने लगे,
क्या ज़रूरत थी पत्थर से दिल लगाने की तुम्हें!" #Poetry#AnjaliSinghal