चलना-फिरना मुश्क़िल होने वाला है, बची शक्तियाँ भी तन खोने वाला है, असहाय जीवन की है अनसुनी दास्ताँ, उन बातों पर कोई न रोने वाला है, कर्मों का लेखा-जोखा चलचित्र बनेगा, पाप न कोई आकर धोने वाला है, निष्कलंक आत्मा मिलती है साहब से, तन का भोगी बोझ ही ढोने वाला है, आत्मचेतना जाग्रत होगी नाम सुमिर ले, अवचेतन मिट्टी में आख़िर सोने वाला है, ज्ञान मार्ग दिखलाए खोले अंतर्घट के द्वार, छलके अमृत कलश सुजान बिलोने वाला है, मन का मिटता मैल नाम के साबुन से 'गुंजन', बे-शक माया-मोह तो जादू-टोने वाला है, ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra #मुश्क़िल होने वाला है#