कह रहा है शोर-ए-दरिया से समुंदर का सुकूत जिस का जितना ज़र्फ़ है उतना ही वो ख़ामोश है —नातिक़ लखनवी कह रहा है शोर-ए-दरिया से समुंदर का सुकूत जिस का जितना ज़र्फ़ है उतना ही वो ख़ामोश है —नातिक़ लखनवी