White दोहा छंद बोली, भाषा का बहुत,रखना यारों ध्यान। सबका अपना मान है,करो नहीं अपमान।। मीठी वाणी से जहाँ, बनते जग में मित्र। कड़वी वाणी से वहीं, मन होता अपवित्र।। सज्जन मानव का सदा,जग में होता मान। दुर्जन मानव का वहीं,होता है अपमान।। मरने से पहले तनिक,कर लो बढ़िया काम। निकृष्ट मानव का नहीं,जग में होता नाम।। बूढ़ों की सेवा करो, पाओगे आशीष। मात पिता के छू चरण, रोज नवाओ शीश।। धरती के हर जीव से,करो सदा तुम प्यार। प्रेम हृदय जिसके नहीं,जीवन है बेकार।। भाई- भाई में अगर,कभी न होगी रार। ढह जाएगी आप ही,नफरत की दीवार।। मिलजुल कर रहते जहाँ,होता वह परिवार। नफरत पलती हो जहाँ,जीना हो दुश्वार।। मानव से बढ़ के जिसे,धन का होता लोभ। धन तो पा लेता मगर,सहे विरह का क्षोभ।। देश, धर्म पर जान दे,कर दे सब कुर्बान। दुनिया ऐसे वीर का,करती है गुणगान।। भक्ति भाव से जो भजे, नारायण का नाम। संकट कट जाते सभी, बनते बिगड़े काम।। स्वरचित रचना-राम जी तिवारी"राम" उन्नाव (उत्तर प्रदेश) ©Ramji Tiwari #GoodMorning #Advice&Motivation #poem #quaotes मोटिवेशनल कोट्स हिंदी