उम्मीदें नयी जागती हैं। कुछ सपनों को सच करने वो, घर से रोज़ निकलते हैं। पर हारते कितना भी हो लेकिन, फिर अगले दिन कोशिश नयी कोशिश करते हैं। दिन नया निकलता है, और रात कहीं ढल जाती है, जब रोशनी नयी खिलती है। सुप्रभात। वो देखिए वक़्त नए रंग में ढलता है, दिन नया निकलता है। #नयादिन #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi