विधा :- कुण्ड़लिया विषय :- चित्र-चिंतन सुनकर बंसी धुन सदा , राधा ले आनंद । ध्यान कहीं टूटे नही , करती आँखें बन्द ।। करती आँखें बन्द , नजर आ जाते मोहन । राधा कान्हा संग , लगे बृज जैसे रोहन ।। सुन लो आज पुकार , राधिका अब तुम बनकर । छेड न ऐसे तान , व्यथित मन होता सुनकर ।। ०१/०९/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR विधा :- कुण्ड़लिया विषय :- चित्र-चिंतन सुनकर बंसी धुन सदा , राधा ले आनंद । ध्यान कहीं टूटे नही , करती आँखें बन्द ।।