लौट आया है आज फिर से कोई मगर मुझे महसूस ना हो पाया मौजूदगी दायर करा कर अपनी इक शोर भी वो कहीं ना कर पाया जल कर किसी आग में कहीं अपनी उमंग को वो बुझा ना पाया चलता रहा बस अपनी धुन में मगर इक शोर भी वो कहीं ना कर पाया राख बन चुकी थी उम्मीदें उसकी मगर हौसलों में काफी दम था देखा जब मुझे उसने एक दफा दिल में शोर काफी कम था कमजोर बुनियाद के सहारे उसकी दुनिया जर्जर दिख रही थी अतीत के पन्नों को देखा पलट कर तबाही अब मेरी हो रही थी उसकी आग से मैं अब बच ना सका सुकून भी अब मेरा उड़ने लगा महसूस हुआ अब मुझे वो सब कुछ मगर फिर भी कहीं कोई शोर ना हुआ ©Gaurav Soni #GateLight #शोर