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न शिकवे गिले न गले हम मिले न ही पूछा कि कैसे है

 न शिकवे गिले
न गले हम मिले 
न ही पूछा कि 
कैसे हैं वो भले 

                   हैं गलत या सही 
                   हमने कुछ न कही
                   मुड़ के देखा नहीं 
                   हम चले तो चले 

हम न उनके हुए 
न वो मेरे हुए 
मन में विरोधी दिये 
थे जले हैं जले

कह दो एहसास वो 
है मेरे साथ जो 
आज दिल की कहो
फिर मिलें न मिले 

                  तुमको पाकर सजन 
                  मेरा हर्षित है मन
                  मेरे मन में सुमन
                  थे खिले हैं खिलें 

दौड़ आ तू झट
मेरे सीने लिपट
मेरे दिल के वो पट
थे खुले हैं खुले

©KUMAR MANI(#KM_Poetry)
  #lonelynight