इतने भाव हैं इस मन में ,, जो कहने को शब्द नहीं । कैसे मैं व्यक्त करूं इनको ,, मन मेरा है स्तब्ध यहीं ।। जी करता है बह जाऊं अब ,, इन भावों के संग संग ही । उतरें एक दूजे में ऐसे ,, जो शेष ना हो अपना रंग ही ।। इन भावों की, एहसासों की ,, अतिशयता में कुछ ऐसी खोई । महसूस किया था कभी नहीं ,, इस स्नेह ने आत्मा मेरी भिंगोई ।। सच कहूं तो मैं मेरा ही नहीं ,, तुम ही तुम हो बस जीवन में । कर्तव्य सभी मैं पूर्ण कर रही,, सांसों में तुम हो धड़कन में ।।❤️ ©SEEMA SINGH Shabd