रफ़्तार हवाओं ने पकड़ी, तो बादल उड़ा ले गए, मेहदुद करने को घर में, क्या शराब भी अब काफ़ी नहीं। ✍महफूज़ रफ़्तार हवाओं ने पकड़ी, तो बादल उड़ा ले गए, मेहदुद करने को घर में, क्या शराब भी अब काफ़ी नहीं। ✍महफूज़