यादों को जिन्दगी का हिस्सा बना लो, चाय की तलब बना लो मर्ज की दवा बना लो, उनको उनके हाल पर छोड़ दो यादों को अपना लो । नहीं तो यादें भी बेघर हो जायेंगी। तड़प तड़प कर टूट जायेंगी एक तरफा इश्क में बे बजह पिस जायें की इश्क के पास नहीं तो किधर जायेंगी इन बेबस भटकती तन्हा यादों को अपना लो इनको दिल में बसालो जीने का जरिया बना लोउनको उनके हाल पर छोड़ दो यादों को अपना लो । इन रोती यादों को तुम्हारे सिवा सहलायेगा कौन इश्क के सफर में तुम तन्हा हो इनको आश बधायेगा कौन हम सफर छोड़ गया बीच राह में बीते लम्हों को सजायेगा कौन यादों को अपना बतायेगा कौन उनको उनके हाल पर छोड़ दो यादों को अपना लो । पारुल शर्मा यादों को जिन्दगी का हिस्सा बना लो, चाय की तलब बना लो मर्ज की दवा बना लो, उनको उनके हाल पर छोड़ दो यादों को अपना लो । नहीं तो यादें भी बेघर हो जायेंगी। तड़प तड़प कर टूट जायेंगी एक तरफा इश्क में बे बजह पिस जायें की इश्क के पास नहीं तो किधर जायेंगी इन बेबस भटकती तन्हा यादों को अपना लो