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बस मैं. और मेरी तन्हाई.... और मेरे इर्द गिर्द मेर

बस मैं.
और मेरी तन्हाई.... 
और मेरे इर्द गिर्द मेरे अनकहे शब्द....
या....
अपनों की भीड़ में भी गूंजता सन्नाटा... 
मेरी देह से दुशाले सा लिपटा 
मेरा अकेलापन.... 
बस मेरी बेबसी.... 
और मेरी आँखों के सामने 
बेसबब गुजरता वक्त.....
शायद अलविदा..... 
या कभी न लौटने वाला वक़्त...

©Raj Alok Anand
  #विरह