सुलगते अरमान तुम्हारे भी होंगे, कुछ सपने तुम्हें भी सोने न देते होंगे। बस फ़िक्र हमेशा मंजिल पर, पहुँचने की होती होगी, कुछ सवाल तुम्हारे भी ज़ेहन में उठते होंगे। न फिक्र किसी और बात की होती होगी, बस ज़ेहन में एक वही तस्वीर रहती होगी। सुलगते अरमान तुम्हारे भी होंगे, कुछ बेहतर कर गुज़र जाने को, भी अलग योजनायें होंगी। यह COLLAB के लिए खुला है।✨💫 अपने सुसज्जित विचारों व शब्दों के साथ इस पृष्ठभूमि को सजायेंl✒️✒️ • PROFOUND WRITERS द्वारा दी गई इस चुनौती को पूरा करें। 💎 • अपने दिल की भावनाओं को शब्दों में पिरोकर इस अद्भुत पृष्ठभूमि की सुंदरता बढ़ाएं।