बह्र - २१२२-११२२-११२२-२२/११२ ज़ख्म तो खूब सहे, दर नहीं बदला अपना दिल बहुत टूटा प' दिलबर नहीं बदला अपना।।१ काश! उनको भी मुहब्बत का नशा हो जाता क्या करूँ यार मुकद्दर नहीं बदला अपना।।२ शह्र बदला वो मकाँ बदला मगर तेरे लिए कुछ नहीं बदला तो नम्बर नहीं बदला अपना।।३ कतरा कतरा बहा अल्फ़ाज़ के हर्फ़ों की तरह फिर भी सीने का वो खंज़र नहीं बदला अपना।।४ मेरी गलती थी जो विश्वास किया तुझ प' मगर क्या पता था तू ने तेवर नहीं बदला नहीं अपना।।५ खुश नसीबी है कि #जय बेवफ़ा होने पर भी तेरी बेग़म ने ये शौहर नहीं बदला अपना।।६ ©जय #ग़ज़ल #शायरी #शेर #बेवफा #LostInSky